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अग्रसर है आजकल असर नयौ-नयौ / सालिम शुजा अन्सारी
Kavita Kosh से
अग्रसर है आजकल असर नयौ-नयौ,
रहगुजर नई-नई सफर नयौ-नयौ॥
इक पुरानी ठौर ही सो टौर बन गई,
अब हमन कों चाँहियै खँडर नयौ-नयौ॥
चार दिन ठहर तौ जाउ काढ दिंगे हम,
मन में आज ही बसौ है डर नयौ-नयौ॥
हौलें-हौलें होयगौ भलाई कौ असर,
आज ही पियौ है यै जहर नयौ-नयौ॥
जैसें ही लड़ो सों बाप की नजर मिलीं,
है गयौ दुपट्टा तर-ब-तर नयौ-नयौ॥
सासरौ, सजन, ससुर, नये सगे'न के संग,
लग रह्यौ है बाप कौ हू घर नयौ-नयौ॥
नयी नवेली दुलहनी कौ चित्त है उदास,
मन में उठ रह्यौ है इक भँवर नयौ-नयौ॥
'सालिम' एक दिन चमक उतर ही जायगी,
और कै दिना रहैगौ घर नयौ-नयौ||