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अच्छाइयाँ और बुराइयाँ / अनुभूति गुप्ता
Kavita Kosh से
मीलों का सफर
आत्मबल से
तय कर लेती हैं अच्छाइयाँ
बस...
बुराइयों की तेज़ छुरी
रास्तों को
खून से लथपथ न करें
आड़ी-टेढ़ी
शक्लों वाले पत्थर
ठोकर न मारें
कोई ठग
अपनों के भेस में
घात लगाये न बैठा हो...।