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अच्छा लगता है / पद्मजा शर्मा
Kavita Kosh से
मुझे अच्छा लगता है
दिल से हँसना-हँसाना
उसके चेहरे पर ख़ुशी लाना
मुझे अच्छा लगता है
उसको लिखना-पढ़ना उससे मिलना
मिलने से पहले
और तेजी से दिल का धड़कना
मुझे अच्छा लगता है
मिलने के दो दिन बाद ही सुनना
‘दो बरस हो गए, मिलो ना !’
मुझे अच्छा लगता है
उसका प्रेम में खिलना
धीरे-धीरे खुलना
मुझे अच्छा लगता है
उसका मुझे पलकों पे बिठाना
मुझे बताए बिना
मुझे अच्छा लगता है
उसके चरित्र बनाना
और उसीसे उनमें रंग भरवाना
मुझे अच्छा लगता है।