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अच्छा लगता है / सुनीता जैन
Kavita Kosh से
अच्छा लगता है
आँखों को बंद रखना।
जो दिखता है
बंद आँखों को,
तुमको क्या दिखता है?
झरने,
झील
पहाड़ी,
देवदार कद्दावर
नीर, धीर, नद, नदिया
खड़े कगार पर
सागर?
बचपन के
वे देव
वृक्ष-वृक्ष,
परछाईं में दानव?
और अचानक
डूब गया जो
माथे पर उगता
सूरज?