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अच्छा ही अच्छा / सुकुमार राय
Kavita Kosh से
इस दुनिया में सब है अच्छा
असल भी अच्छा नक़ल भी अच्छा
सस्ता भी अच्छा महँगा भी अच्छा
तुम भी अच्छे मै भी अच्छा
वहां गानों का छन्द भी अच्छा
यहाँ फूलों का गन्ध भी अच्छा
बादल से भरा आकाश भी अच्छा
लहरों को जगाता वातास भी अच्छा
ग्रीष्म अच्छा वर्षा भी अच्छा
मैला भी अच्छा साफ़ भी अच्छा
पुलाव अच्छा कोरमा भी अच्छा
मछली परवल का दोरमा भी अच्छा
कच्चा भी अच्छा पका भी अच्छा
सीधा भी अच्छा टेढ़ा भी अच्छा
घण्टी भी अच्छी ढोल भी अच्छा
चोटी भी अच्छा गंजा भी अच्छा
ठेला गाडी ठेलना भी अच्छा
खस्ता पूरी बेलना भी अच्छा
गिटकीड़ी गीत सुनने में अच्छा
सेमल रूई धुनने में अच्छा
ठण्डे पानी में नहाना भी अच्छा
पर सबसे अच्छा है ....
सूखी रोटी और गीला गुड़
मूल बांग्ला से अनूदित