भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अच्छा ही है / उमा अर्पिता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिंदगी अगर गर्म, कुनकुनी
धूप का हिस्सा होती, तो
कितना अच्छा होता!
तब चाहत की तितली
वक्त के कँटीले तारों में
उलझकर दम न तोड़ती!
अच्छा ही है कि
दिन चढ़ने से पहले ही
मेरी आँखों में
उतरने लगी है, शाम...