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अच्छी बातें लग जाती हैं यार बुरी / दीपक शर्मा 'दीप'
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अच्छी बातें लग जाती हैं यार बुरी
यानि-यानि हाँ-हाँ जी सरकार बुरी
इसे सँभाले रखना इतना आसां है?
जब-तब नीचे आती है 'दस्तार' बुरी
माना उलझन ख़ून जलाती है बेशक़
लेकिन यों भी नहीं मियाँ बेकार-बुरी
लम्हे-भर में बरसों का ख़ूँ होता है
कान बुरा है या कि फिर दीवार बुरी?
कश्ती-लंगर-दरिया-मौजें और भँवर
सब अच्छे हैं 'दीप' मगर पतवार बुरी