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अच्छी बातों की चर्चा / रणजीत

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बुरी बातें तो बहुत हैं हमारे देश में
उनकी चर्चा करने लगेंगे तो कभी खत्म नहीं होगी
चलो, अच्छी बातों की चर्चा करें
यह कितनी अच्छी बात है
कि अभी तक कुछ अच्छी बातें बची हुई हैं।

इससे बढ़कर बुरी बात क्या होगी
गौतम और गाँधी के देश के लिए
कि उसने परमाणु बम बनाया
और उसकी अहंकार पूर्ण घोषणा की
अब कोई हमारी तरफ
आँख उठा कर भी नहीं देख पाएगा
हमारे प्रधानमंत्री गुर्राए
पर आँख उठाने की छोड़िए
बिना डरे हमारे बमों से
हमसे एक बटा पाँच सैनिक शक्ति वाले
हमारे पड़ोसी ने
थूथन उठा कर थूक दिये कारगिल और द्रास में
हज़ारों घुसपैंठिये
क्योंकि हथियारों की होड़ में एक नया अध्याय जोड़कर
परमाणु बमों में अपने बराबर आ जाने का
अवसर दे दिया था हमने उसे
और परमाणु बम हरा नहीं सकते किसी को
न दबा सकते हैं
वे सिर्फ विनाश कर सकते हैं
शत्रु का भी और अपना भी
वास्तव में वे युद्ध के हथियार हैं ही नहीं
सिर्फ सर्वनाथ के साथन हैं।
पर इस इतनी बुरी बात के साथ जुड़ी हुई
एक अच्छी बात भी है
कि कुछ लोग तो ऐसे निकल ही आये इस देश में
राष्ट्रोन्माद के उस वातावरण में भी
जिन्होंने इसे बेलाग बुरी बात कहा
और निकल पड़े सड़कों पर
उसका विरोध करने के लिए।
यह बुरी बात है कि रामदेवरा में
इस शान्ति यात्रा को रोकना चाहा
सरकारी संचार माध्यमों से संक्रमित बम समर्थकों ने
पर यह अच्छी बात है
कि उन्होंने व्यापक पत्थरबाजी नहीं की
सिर्फ गुलेल से घायल हुए राणाजी
और आमरण अनशन पर बैठने के बाद संदीप के
यात्रा फिर से चल पड़ी
और यह तो गजब की अच्छी बात है कि
शान्ति यात्रा के अन्तिम दौर में
मक्खनपुर में स्वयं रा.स.स. वालों ने ही
आयोजित किया शांतियात्रियों का सम्मान
कितनी अच्छी बात है कि
कुछ बम समर्थकों को हो ही गया आखिर
इस समर्थन की मतांधता का भान।
बहुत बुरी बात है कि पूरे देश में
फैलता चला जा रहा है भ्रष्टाचार
मंत्रियों, प्रधानमंत्रियों को छोड़ दीजिए
वे बड़े लोग हैं
और बड़े लोगों को ही पड़ता है उनसे काम
पर छोटे लोगों से संबंधित
सारे सरकारी कार्यालय
भ्रष्टाचार की चपेट में आते जा रहे हैं
इस पृष्ठभूमि में यह कितनी सुखद सूचना है
कि डी.डी.आर कार्यालय के राम जियावन वर्मा ने
कुछ भी नहीं लिया मुझसे
और कहा
‘आपके वेतन भुगतान का आदेश होगा
क्योंकि वह जायज है
टाइम जरूर लगेगा
पर आदेश ऐसा होगा
कि उसे कोर्ट में चैलेंज न किया जा सके’
और देर में ही सही
पर बनवाया ऐसा आदेश
जिस पर नहीं मिला मैनेजमेंट को
कोई स्थगनादेश
और फिर खूब खूब देर से ही सही
पर आखिर हुआ मेरा वेतन भुगतान।
यह कितनी अच्छी बात है कि
आज की तारीख में भी ऐसे ऐसे
दफ्तर हैं हिन्दुस्तान में
जिनमें ऐसे ऐसे कर्मचारी मौजूद हैं
जो काम करते हैं
पर पैसा नहीं लेते
यानी आपसे नहीं, सिर्फ सरकार से लेते हैं।
और फिर बुरी बातों की बाढ़ में
इसे भी अच्छी बात ही कहना होगा
कि ज्यादातर रिश्वतखोर कर्मचारी
रिश्वत लेकर कर ही देते हैं आपका काम
और ऐसे हरामखोरों की संख्या अब भी नगण्य है
जो पैसा लेकर भी लटकाए रखते हैं
लम्बे समय तक
और अकड़ते अलग हैं अमचूर की तरह।
चलो अच्छी बातों की चर्चा करें
क्योंकि ऐसी चर्चा से
ठण्डी हवा का एक झोंका आता है
लू-लपट के मौसम में
और मन तरोताज़ा हो जाता है
कितनी बुरी बात है कि सत्ताधारी
और सत्ताकांक्षी
दोनों के दोनों दल
अपने दलबल और दलबदल के साथ
मुक्त बाजार के दलदल में फंस कर
बहुराष्ट्रीय निगमों के लिए
खोल रहे हैं देश के दसों द्वार
सजा रहे हैं उनके स्वागत में
तोरण बन्दनवार
पर यह कम अच्छी बात नहीं है
कि संगठित हो रहे हैं दलित
प्रदर्शन कर रही हैं औरतें
लगातार लड़ रही है भँवरीबाई
अपने बलात्कारियों की गिरफ्तारी के लिए
बढ़-बढ़कर बोल रही है बड़े बाँधों के खिलाफ
मेधा पाटकर
चुपचाप अपने बुकर अवार्ड के पन्द्रह लाख
दे दिये हैं अरुंधती रॉय ने मेधा को
नर्मदा बचाओ आन्दोलन के लिए
और सलिल-शैया पर लेटे हुए बाबा आमटे को
मेग्सेसे के बाद दिया गया है गाँधी शान्ति पुरस्कार
समाजवाद के दोनों मॉडलों के ढहने के
ग़म में डूबे किशन पटनायक
उसकी नयी रूपरेखा रचने में रत हैं।
साम्प्रदायिकता के खिलाफ कार्यशालाएं आयोजित
कर रहे हैं असगल अली इंजीनियर
‘युद्ध से कोई समस्या हल नहीं हो सकती’
जगह-जगह कहते फिर रहे हैं
पूर्व नौसेनाध्यक्ष एडमिरल रामदास
मजदूर किसानों की शक्ति संगठित कर
छीना है अरुणा रॉय ने
सुरक्षा के लबादे में सत्य को छुपाने वाली सरकार से
सूचना का अधिकार
राजगोपाल...अन्ना हजारे, सुनीलम
कितने कितनेे लोग लगे हुए हैं
कितने अच्छे अच्छे कामों में
कितनी कितनी अच्छी बात है यह।