भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अच्छे ईसा हो मरीज़ों का ख़याल अच्छा है / अमीर मीनाई

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 

अच्छे ईसा<ref> यहाँ उपचारक</ref>हो मरीज़ों<ref>रोगियों</ref>का ख़याल अच्छा है
हम मरे जाते हैं तुम कहते हो हाल अच्छा है

तुझ से माँगूँ मैं तुझी को कि सब कुछ मिल जाये
सौ सवालों से यही इक सवाल अच्छा है

देख ले बुलबुल-ओ-परवाना की बेताबी को
हिज्र<ref>विरह</ref>अच्छा न हसीनों<ref>सुंदरियों</ref> का विसाल<ref>मिलन</ref>अच्छा है

आ गया उस का तसव्वुर<ref>कल्पना, विचार,ध्यान</ref>तो पुकारा ये शौक़
दिल में जम जाये इलाही ये ख़याल अच्छा है