अच्छे दिनों में / पंकज चौधरी
अच्छे दिनों में
मनु लौट रहे हैं
अपने पूरे लाव-लश्कर के साथ
अच्छे दिनों में
मुसलमान लगा रहे हैं
वंदे मातरम, जय श्रीराम के नारे
अच्छे दिनों में
ऊबाऊ लग रहे हैं
गालिब, टैगोर और प्रेमंचद
अच्छे दिनों में
बेदखल हो रहे हैं
हमारी किताबों से
अकबर, शाहजहां
अच्छे दिनों में
अखलाखों की हो रही बर्बर हत्या
और गायों की हो रही
मच्छरदानी में सुरक्षा
अच्छे दिनों में
शंकराचार्यों की बन रही पीठ
और मौलवियों, पादरियों की
उधेड़ी जा रही पीठ
अच्छे दिनों में
हो रही है
शूद्रों की धन-दौलत नीलाम
अच्छे दिनों में
मार्क्स की संतानों की
उतारी जा रही हैं केंचूली
अच्छे दिनों में
फुले-आम्बेडकर की संतानों में
मची हुई है होड़
झंडेवालान की ओर
देखने की भोर
और
अच्छे दिनों में
अम्बानी, अडानी हो रहे और मोटे
पंकज चौधरी हो रहे और दुबले!