भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अछूत (पैरोडी) / बेढब बनारसी
Kavita Kosh से
गाटर ज्यों खंभ पर, तांगा जिमि रंभ पर, अनल का अम्भ पर, होता जिमि राज है
काँटा जिमि राह पर,चन्दा तनखाह पर, केसर कस्तूरी के ऊपर जिमि प्याज है
काई जिमि कुंड पर, छूरी जिमि मुंड पर, मिर्चा जिमि 'उंड'- पर, सर पर ज्यों खाज है
'टीचर' ज्यों डंस पर, हंटर ज्यों हंस पर, त्यों अछूत बंस पर आज द्विजराज है
नोट: उंड = घाव
(भूषन के 'इंद्र जिमि जम्भ पर' की तरह)