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अछूत / चन्द्र गुरुङ
Kavita Kosh से
पानी के घाटों में
घर–आँगन में
मेले–उत्सव में
गांव–शहर में
लोग कहते हैं
तुम छू नहीं सकते पानी
दिल को खट्टा करते हुए
गाली देते हैं
डराते हैं
तिरस्कृत करते हैं
चेतावनी देते हैं
उंगली उठाते हैं -
तुम छू नहीं सकते पानी
मैं चकित होता हूँ
मैं सोचता हूँ
क्या पानी को मालूम है कि
मैं उसे छू नहीं सकता?