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अजब इक शोर सा बरपा है कहीं / जॉन एलिया
Kavita Kosh से
अजब इक शोर सा बरपा है कहीं
कोई खामोश हो गया है कहीं
है कुछ ऐसा के जैसे ये सब कुछ
अब से पहले भी हो चुका है कहीं
जो यहाँ से कहीं न जाता था
वो यहाँ से चला गया है कहीं
तुझ को क्या हो गया, के चीजों को
कहीं रखता है, ढूंढता है कहीं
तू मुझे ढूंढ़, मैं तुझे ढुंढू
कोई हम में से रह गया है कहीं
इस कमरे से हो के कोई विदा
इस कमरे में छुप गया है कहीं