भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अजब कहानी / श्रीकान्त व्यास
Kavita Kosh से
भालू भाय नाचै ता-थैय्या,
कोयल नम्बर एक गवैया।
बानर के देह बड़ा लचीला,
टहनी केॅ समझोॅ हुनकोॅ झूला।
पत्ता के खर-खर सुनी भागै,
डरपोक गीदड़ जी कहलावै।
कठफोड़ां करै गाछीं छेद,
तनियोॅ नै स्वीकारै खेद।
चतुर मूसा के अजब कहानी,
एक दिन बेमार पड़लै नानी।
दौड़तें भागलै नानी घोॅर,
लागै हिनका बिलाय सें डोॅर।
साँप हमेशा दौ में रहै छै,
दोसरा घर में राज करै छै।
बेंग-मूसोॅ छै प्यारोॅ भोजन,
रातीं करै दोनोॅ के खोजन।
हुन्नें नानी-घर मूसां सोचै,
हिन्नें बिली में नागिन घुसै।
जें सुनसान घरोॅ केॅ छोड़ेॅ,
पछतैतें हुएँ माथोॅ फोड़ेॅ।
घर पर पहरेदारी लगावोॅ,
चोरोॅ सब केॅ दूर भगावोॅ।