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अजब जोबन है गुल पर आमदे फ़स्ले बहारी है / भारतेंदु हरिश्चंद्र

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अजब जोबन है गुल पर आमदे फ़स्ले बहारी है ।
शिताब आ साकिया गुलरू<ref>पुष्प्मुखी</ref> कि तेरी यादगारी है ।

रिहा करता है सैयादे सितमगर मौसिमे गुल में ।
असीराने<ref>कैदियों</ref> कफ़स<ref>पिंजरा, शरीर रूपी पिंजरा</ref> लो तुमसे अब रुख़सत हमारी है ।

किसी पहलू नहीं आराम आता तेरे आशिक को ।
दिले मुज़तर<ref>घबराया हुआ</ref> तड़पता है निहायत बेक़रारी है ।

सफ़ाई देखते ही दिल फड़क जाता है बिस्मिल<ref>घायल, यह शब्द आम तौर पर प्रेमी के लिए इस्तेमाल होता है</ref> का ।
अरे जल्लाद तेरे तेग़<ref>तलवार</ref> की क्या आबदारी<ref>चमक</ref> है ।

दिला<ref>हे दिल !</ref> अब तो फ़िराक़े<ref>बिछोह, विरह</ref> यार में यह हाल है अपना
कि सर जानू पर है और ख़ून दह आँखों से जारी है ।

इलाही ख़ैर कीजो कुछ अभी से दिल धड़कता है ।
सुना है मंज़िले औवल<ref>अव्वल</ref> की पहली रात भारी है ।

'रसा' महवे<ref>मुग्ध</ref> फ़साहत<ref>अच्छी व्यंजनाशक्ति</ref> दोस्त क्या दुश्मन भी हैं सारे ।
ज़माने में तेरे तर्ज़े सख़ुन की यादगारी है ।

 

शब्दार्थ
<references/>