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अजब संसार है हर बात जैसे इक कहानी है / रंजना वर्मा

अजब संसार है हर बात जैसे इक कहानी है।
बिना चाहे हुए भी रस्म हर इसकी निभानी है॥

कई बातें समझ आती नहीं लगतीं प्रथा जैसी
मगर संस्कार की गंगा यहाँ फिर भी बहानी है॥

बहुत दिन पूर्व पुरखों ने जो सच की राह दिखलायी
चलें हम यत्न कर उस पर यही धर्मों की बानी है॥

चुकाना पितृ ऋण है अरु बनानी राह भी नूतन
हमें सन्तान को भी तो कथा उन की सुनानी है॥

समस्याएँ हजारों ज़िन्दगी में आ रहीं प्रति पल
जिये जायें कसम यह भी तो सदियों से पुरानी है॥