भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अजहूँ न निकसे प्रान कठोर / दादू दयाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

अजहूँ न निकसे प्रान कठोर .
दरसन बिना बहुत दिन बीते सुंदर प्रीतम मोर.
चारि पहर चारों जुग बीते रैनि गंवाई भोर .
अवधि गई अजहूँ नहिं आए कतहुँ रहे चितचोर.
कबहूँ नैन निरखि नहिं देखे मारग चितवत तोर.
दादू ऐसे आतुर बिरहिनि जैसे चन्द चकोर.

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।