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अजी रूठकर अब कहाँ जाईयेगा / हसरत जयपुरी
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अजी रूठकर अब कहाँ जाइएगा
जहाँ जाईयेगा, हमें पाइएगा
निगाहों से छुपकर दिखाओ तो जाने
ख़यालों में भी तुम ना आओ तो जाने
अजी लाख परदों में छुप जाइएगा
नज़र आईयेगा, नज़र आइएगा
जो दिल में हैं होठों पे लाना भी मुश्किल
मगर उसको दिल में छुपाना भी मुश्किल
नज़र की जुबां से समझ जाइएगा
समझकर ज़रा गौर फरमाइएगा
ये कैसा नशा हैं, ये कैसा असर हैं
ना काबू में दिल हैं, ना बस में नज़र हैं
ज़रा होश आ ले, चले जाइएगा
ठहर जाईयेगा, ठहर जाइएगा
अजी रूठकर अब कहाँ जाइएगा