हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
अजी सुन्दर गल में माल मात, तेरी सुन्दर सिंह सवारी है।
सुन्दर लौकड़िया खड़ा तेरे, सुन्दर भैरों बलकारी है।।
सुन्दर चौरासी भवन तेरे, सुन्दर जगजोत तिहारी है।
सुन्दर तेरे चरण निरख माता, दुरवासा रिसी बलिहारी है।।
अजी सुन्दर गल में माल मात, तेरी सुन्दर सिंह सवारी है।
सुन्दर लौकड़िया खड़ा तेरे, सुन्दर भैरों बलकारी है।।
सुन्दर चौरासी भवन तेरे, सुन्दर जगजोत तिहारी है।
सुन्दर तेरे चरण निरख माता, दुरवासा रिसी बलिहारी है।।