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अज्ञेय / विपिनकुमार अग्रवाल
Kavita Kosh से
उनसे कई बार मिला
बहुत-सी बातें कहीं
पर संकोच में
या बुद्धिमानी की ओट में
वे चुप रहे
महज़ कहा
हूँ, हाँ और एक नहीं
(रचनाकाल : 1957)