भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अट्टालिका / एज़रा पाउंड / एम० एस० पटेल
Kavita Kosh से
आओ, बदतर हैं जो हमसे, उनपर तरस खाएँ ।
आओ, याद करें, मेरे मित्र
पैसेवालों के मित्र नहीं ख़ानसामाँ होते हैं,
हमारे मित्र हैं ख़ानसामाँ नहीं
आओ, विवाहितों और अविवाहितों पर दया करें ।
सजी-धजी पावलोवा<ref>एक रूसी नृत्य-नाटिका की नर्तकी (1885-1931)</ref> जैसी
धीरे-धीरे उषा मंच पर आती है,
मैं अपनी अभिलाषा के क़रीब होता हूँ ।
इस निपट उदासीनता की घड़ी से
जीवन किंचित् सुखी नहीं है,
एक साथ सतर्क होने का समय है
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : एम० एस० पटेल
शब्दार्थ
<references/>