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अडवो : एक लखाव / सांवर दइया
Kavita Kosh से
माथो कोनी
माथै री ठौड़ है
ऊंधी मेल्योड़ी हांडी
डील
डांग रो टुकड़ो
हाथां री जागा डंडिया
गाभा कोनी खाकी
पण तो ई
कांई मजाल
पानड़ो ई चर लेवै कोई
थारै थकां !