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अणभव’र दीठ / कन्हैया लाल सेठिया

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हू’र नचीतो
मत फैंक
अकूरड़ी पर
दिवलो
आवै दाबतो
उगतै सूरज रा खोज
फेर अंधेरो
आ नित री राड़
कोनी कर सकै कोई
आडी बाड़
जे चावै
भलो
थारी भोळी दीठ नै
अणभव स्यूं जोड़ !