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अतिरिक्त समझकर क्या होगा / रश्मि प्रभा

जब धर्म का नाश तब 'मैं'
मैं यानि आत्मा
अमरता वहाँ जहाँ देवत्व
देवत्वता यानि सूक्ष्मता
सूक्ष्मता - कृष्ण
कृष्ण - सत्य
.....
खोज तो तुम रहे हो
कौन यशोदा , कौन राधा
राधा तो फिर रुक्मिणी क्यूँ
देवकी को क्या मिला
चिंतन तुम्हारा
उत्तर तुम्हारा
युगों का संताप तुम्हारा
....
गीता के शब्दों की व्याख्या
कौन करेगा ...
अपने अपने मन की व्याख्या असंभव है
तो गीता तो सूक्ष्म सार है
.... सूक्ष्म को व्याख्या नहीं चाहिए
वह है , रहेगा
जब जो उसे खुद में ले ले ...
सबकुछ खुला है -
जन्म लेना है
जाना है
प्रकाश दोनों तरफ है
मध्य में उसे बांटना है
बांटा तो गीता का सार
समेटना चाहा तो भटकाव ...
..... कृष्ण को अतिरिक्त समझकर क्या होगा
कथन से कथन निकालकर क्या होगा
वह जो था
वह है
वही रहेगा .......