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अतृप्त इच्छाओं की वेदी / प्रेमनन्दन
Kavita Kosh से
सहसा एक चिता जली
पर
श्मशान में नहीं
एक शानदार बँगले के आँगन में ।
मुर्दा शरीर की नहीं,
ज़िन्दा शरीर की।
प्रत्यक्षदर्शी पड़ोसी बताते हैं
कि उसकी हथेलियों पर
मेंहदी की रंगोलियाँ थीं
सुर्ख़ लाल जोड़े में
लाल-लाल चूड़ियाँ थीं।
वह लाल जोड़ा
‘लाल’ हो कर राख में बदल गया!
कुछ लोगों की
अतृप्त इच्छाओं की वेदी पर
स्वाहा हो गई --
एक और लड़की !
एक और लड़की !!
एक और लड़की !!!