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अथक अविराम अक्षर-साधना है / शिव ओम अम्बर
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अथक अविराम अक्षर-साधना है,
हमारी ज़िन्दगी नीराजना है।
सियासत सर्जना है शूलवन की,
कला विग्रहवती शुभकामना है।
अधर पर काँपती वो मुस्कराहट,
प्रणय के ग्रन्थ की प्रस्तावना है।
उसे उपलब्धि में परिणत करेंगे,
हमारे पास इक संभावना है।
विचारें सूक्ष्मता से तो लगेगा,
अभीप्सा मुक्ति की भी वासना है।
कभी थी चाँदनी की रूपगाथा,
ग़ज़ल अब अग्नि की आराधना है।