भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अथ दोहा शिक्षावली-इष्टै बंदना / मुंशी रहमान खान
Kavita Kosh से
गुरु पद पंकज नाय सिर उर धर ईश्वर ध्यान।
हाथ जोरि विनती करहुँ देहु बुद्धि बल ज्ञान।।1
धर्म सहित पुस्तक रचहुँ सुनिए कृपानिधान।
तुव प्रसाद यह पूर्ण हो दीजौ यहि वरदान।।2
धर्म विरुद्ध बहु कार्य लख, अस मन कीन्ह विचार।
देहुँ सीख दोउ धरम हित जो सहाय करतार।।3
यासे मैं विनती करहुँ हे प्रभु करुणा नाथ।
जो अनुचित लेखनि लिखै शक्ति घटै मम हाथ।।4
जो अक्षर भूलौं कहीं हे प्रभु दीनदयाल।
करि निज कृपा दीन पर शीघ्र करैयो ख्याल।।5
जौन लिखौं सब होय फुर झूठ न आवै पास।
करियो ईश सहाय यहि पूजै मन की आस।।6