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अदाकारी पुरानी यार दिखलाने लगे फिर से / नन्दी लाल

अदाकारी पुरानी यार दिखलाने लगे फिर से।
गली में वो हमारी लौट कर आने लगे फिर से।।

तराने वो मोहब्बत के वही गाने लगे फिर से,
न जाने किस अदा पर आज दीवाने लगे फिर से।।

बदलियों की तरह आकाश पर छाने लगे फिर से,
घटाओं की तरह बेखौफ मँडराने लगे फिर से।।

निगाहों में उन्हें कोई नजर अपना न जब आया,
हमारी ओर बेबस हाथ फैलाने लगे फिर से।।

हवा में घर बनाने लग गये अनमोल सपनों का,
सितारें आसमां से तोड़कर लाने लगे फिर से।।

मिला मौका हवा का भाँपकर रूख आज गैरों में,
सियासत की पुरानी चोट सहलाने लगे फिर से।।

लगी कालिख बदन की जो सफेदी में बदल जाए,
नदी की बाढ़ में वह भैंस नहलाने लगे फिर से।।

जिन्हें मुद्दत हुई खाकर कसम हम छोड़ आये थे,
छलकने हुस्न के वह जाम-व-पैमाने लगे फिर से।।

भुलाकर दुश्मनी सारी भुला शिकवे गिले सारे,
गले लगकर खुशी के फूल बरसाने लगे फिर से।।