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अदीठ रै हाथा / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
जद कीं नीं हो
धरती माथै
फगत जळ हो।
जद कीं नीं रैवैला
धरती माथै
फगत जळ रैवैला।
जळ ई जीवण
रचाव का उजाड़
अदीठ रै हाथ!