भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अदीठ रै हाथा / मदन गोपाल लढ़ा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जद कीं नीं हो
धरती माथै
फगत जळ हो।

जद कीं नीं रैवैला
धरती माथै
फगत जळ रैवैला।

जळ ई जीवण
रचाव का उजाड़
अदीठ रै हाथ!