अदृश्य नदी / शरत चंद्र प्रधान / दिनेश कुमार माली
रचनाकार: शरत चंद्र प्रधान(1934)
जन्मस्थान: तोलकनंद, केंदुझर
कविता संग्रह: नदी आउ माछ, हंस ओ सारस(1973), उच्चैश्रवा(1981), अस्थिर पाद (1968), ययाति(1991), अभय भय(1994), वत्रिश सिंहासन(1998)
कौन हो तुम ?
क्यों आते हो ?
आँखों में आंसू
मुख पर हंसी।
सुबह- शाम
फूल फुलवारी में
तुम्हारे गीत
चंद्रमा तारों में।
सभी में तुम
अदृश्य नदी
तुम्हारा मुंह
तुम्हारी छाया।
आकाश में
तुम्हारी कहानी
चंद्रमा भी गाता है
एक ही गाथा।
पवन लिखती है
तुम्हारी चिट्ठी
तरल नील
दोनों आँखों से !
धरती खींचती हैं
तीन लकीरें
कौन से राज्य
राजकुमार,
तोते की पूंछ में
जीवन कहाँ
कहाँ गई
हरी- भरी भूमि।
कहाँ तुम्हारा
जिद्दी हंस
ताजी -ताजी
कोमल घास।
सारे तालाब में
खिलते कुमुद
करोडों हंसों की
एक छाया।
कहो भला
मेरा मुख देखकर
सही में, तुम
अबोध नही हो ।