अध्याय / प्रतिभा किरण
आओ हम सब हाथ लगाकर
ये दरवाज़ा खुलवा लें
अगर तुम पूछोगे कि
इसका छोर कहाँ है
तो मैं तुम्हें नहीं बता पाऊँगी
क्योंकि मैंने जीवन में
जितने दरवाज़े खोले
या खोली हों खिड़कियाँ
मुझे हमेशा लगा है कि
मैं कोई किताब खोल रही हूँ
हर दरवाज़े से प्रवेश करता हुआ व्यक्ति
मुझे एक अध्याय दे गया है
और खिड़कियों ने दी हैं भूमिकाएँ
ये दरवाज़ा जो मैं तुम सबसे
कह रही हूँ खुलवाने को
मेरे अकेले के बस की बात नहीं
हमें एक साथ खोलना होगा इसे
और पढ़ना होगा हर अध्याय
इससे पहले कि देर हो जाये
क्योंकि
जब भी मुझे नहीं दिखते खिड़की और दरवाज़े
मुझे लगता है या तो मैं एक अध्याय हूँ
जिसे कोई पढ़ रहा होगा अभी
या फिर जो किताब मैं पढ़ रही
उसका कवर फाड़ ले गया कोई
मैं बेतहाशा देखने लगती हूँ
कहीं तो लिखा होगा
महीन अक्षरों में उस किताब का नाम
या मेरे नाम की गयी कोई पृष्ठ सङ्ख्या
कोई तो मुझे बताये
क्या कोई है जो मुझे पढ़ रहा
अगर मैं इस किताब से निकल गयी
तो अनर्थ हो जायेगा