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अध-रतियन में घाट किनारें जामें चौं / नवीन सी. चतुर्वेदी
Kavita Kosh से
अध-रतियन में घाट किनारें जामें चौं।
जाइ कें जलडुब्बन सूँ नैन लड़ामें चौं॥
भूत कहानी में ई नीके लागतु ऐं।
आँगन में बेरी कौ पेड़ लगामें चौं॥
दूध अगर फट जाय तौ छैना कर लिंगे।
जान बूझ कें दूध में नौन मिलामें चौं॥
बरफ के गोलन की बरखा जब ह्वै रई होय।
ऐसे में हम अपनौ मूँड़ मुँड़ामें चौं॥
तुम हुस्यार हौ तुमइ करौ जै पेसल काम ।
हम पनफत के बीच पतंग उड़ामें चौं॥