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अनक्रिओन की क़ब्र / अलेक्सान्दर पूश्किन / वरयाम सिंह

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अनक्रिओन<ref>पाँचवी शताब्दी ईसा पूर्व के प्रसिद्ध यूनानी कवि-गायक</ref>

हर चीज़ छिपी है रहस्यभरी ख़ामोशी में,
पर्वत पर छा गया है अन्धकार,
निकल आया है युवा अर्द्धचन्द्रमा
बादलों की चमक से घिरा हुआ ।
एक वीणा दिखाई दे रही है क़ब्र के ऊपर,
सोई हुई मीठी नींद में,
सुनाई देती है कभी एक उदास ध्वनि
जैसे यह प्यार भरी अलसाई आवाज़ हो ,
दिखाई देती है वीणा पर बैठी एक फ़ाख़्ता,
एक फूलदान गुलाबों से भरा और एक घर...

मित्रो, देखो विलासिता का यह विद्वान
किस तरह रह रहा है अमन - चैन में,
देखो, स्फटिक शिला पर किस तरह
जीवित हो उठी है एक छोटी - सी छेनी,
यहाँ दर्पण में देखते हुए वह
कहता है — 'मैं बूढ़ा हो गया हूँ अब',
आनन्द लेने दो शेष जीवन का मुझे
आख़िर जीवन प्रकृति का अक्षय उपहार तो नहीं ।
यहाँ वीणा पर से उँगलियाँ उठाते हुए
भौहें सिकोड़ते हुए बड़प्पन के साथ
वह ईश निन्दा के गीत गाना चाहता है
पर कण्ठ से निकलते हैं केवल प्रेम के गीत ।

तैयारी कर रहा है वह
प्रकृति को अपना अन्तिम ऋण चुकाने की :
नृत्यमण्डली में नाचने लगा है बूढ़ा
चाहता है कोई तो बुझाए उसकी प्यास
गा रही हैं, नाच रही हैं युवतियाँ
बूढ़े प्रेमी के चारों ओर,

देखना, यह बूढ़ा अवश्य चुरा लाएगा
कृपण काल से दो -चार और पल ।
कला की देवियाँ और परियाँ
क़ब्र की ओर ले गईं अपने प्रेमी को,
फूलों से लदी नर्तक मण्डलियाँ
चुपचाप चल पड़ीं उसके पीछे...
आनन्द के क्षणों की तरह विलुप्त हो गया वह
विलुप्त हो गया सुबह के सपनों की तरह ।
 
ओ मर्त्य प्राणी, मात्र छाया है तेरा यह जीवन,
यों ही न जाने दे इन चंचल ख़ुशियों को,
आनन्द ले तू जी भर
बार - बार भरता चल ख़ुशियों का प्याला,
थक जाने तक बुझाता रह अपनी प्यास
और पड़ा रह आराम से प्यालों के बाद भी ।

1825

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
              Александр Пушкин
                 Гроб Анакреона

Все в таинственном молчанье;
Холм оделся темнотой;
Ходит в облачном сиянье
Полумесяц молодой.
Вижу: лира над могилой
Дремлет в сладкой тишине;
Лишь порою звон унылый,
Будто лени голос милый,
В мертвой слышится струне.
Вижу: горлица на лире,
В розах кубок и венец…
Други, здесь почиет в мире
Сладострастия мудрец.
Посмотрите: на порфире
Оживил его резец!
Здесь он в зеркало глядится,
Говоря: «Я сед и стар,
Жизнью дайте ж насладиться;
Жизнь, увы, не вечный дар!»
Здесь, подняв на лиру длани
И нахмуря важно бровь,
Хочет петь он бога брани,
Но поет одну любовь.
Здесь готовится природе
Долг последний заплатить:
Старец пляшет в хороводе,
Жажду просит утолить.
Вкруг любовника седого
Девы скачут и поют;
Он у времени скупого
Крадет несколько минут.
Вот и музы и хариты
В гроб любимца увели;
Плющем, розами увиты,
Игры вслед за ним пошли…
Он исчез, как наслажденье,
Как веселый сон любви.
Смертный, век твой привиденье:
Счастье резвое лови;
Наслаждайся, наслаждайся;
Чаще кубок наливай;
Страстью пылкой утомляйся
И за чашей отдыхай!

1815 г.

शब्दार्थ
<references/>