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अनजान हैं जो, मारे जाएँगे / नील कमल
Kavita Kosh से
आदमी क्या है
अदद इतिहास का टुकड़ा ।
तुमसे मिलाते हुए हाथ
हम करते हैं बात
तुम्हारे इतिहास से भी,
कि जब करवट बदलते हो
समय के बिस्तर पर
तो इतिहास भी बदलता है करवट ।
यह कैसा मंज़र है
कि सभ्यता की सड़कों पर
रौंदे जा रहे हैं इतिहास
इतिहासों की टाप के नीचे,
कहता हूँ
सुनना ध्यान से
इतिहास जब भी होते हैं
आमने सामने-मैदान में,
तय है :
अनजान हैं जो लोग
मारे जाएँगे ।