अनपढ़ होता तो अच्छा होता / नीरव पटेल / मालिनी गौतम
विज्ञान पढ़ते-पढ़ते
न्यूटन का सेब गिरते देख
मुझे पहला विचार उसे खाने का आया था।
समूह जीवन का पाठ सीखने जाते समय
हरिजन आश्रम रोड पर काँच के आलीशान मकानों को देख कर
मुझे पहला विचार
उन पर पत्थर मारने का आया था।
रिसेस में लगती प्यास को दबाते-दबाते
सीवान पर प्याऊ के मटकों को देख कर
मुझे पहला विचार
कुत्ते की तरह एक पैर ऊँचा कर के
उनमें मूतने का आया था।
सियार घूमते-घूमते शहर में जा पहुँचा
अचानक ही रंगरेज के हौज में गिर गया
रंगीन होने से ख़ुश-ख़ुश हो गया
और जंगल में जा कर राजा की तरह रौब करने लगा
पकड़े जाने पर सीख मिली –
इस विषय के
एक से अधिक अर्थ निकलते हैं
ऐसी कहानी लिखने के बजाय
मुझे आखिरी विचार अनपढ़ रहने का आया था।
पढ़-लिख कर अपमान के प्रति चेतनायुक्त होना
और निष्क्रियता को पोषित करना – इसके बजाय
अनपढ़ रहता तो अन्यायी के सिर पर प्रहार तो करता
या दारू पी कर अपमान का घूँट तो निगल जाता !
अनुवाद : मालिनी गौतम