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अनबन ईंटों में कुछ हुई होगी / देवी नांगरानी
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अनबन ईंटों में कुछ हुई होगी
यूँ न दीवार वो गिरी होगी
पुख़्ता होंगी कहाँ से दीवारें
कुछ मिलावट कहीं रही होगी
बीते कल की थी एक हिस्सा जो
आज इतिहास वो बनी होगी
घर बिखरता है तो यही जानो
टूटी पुख़्ता कड़ी कोई होगी
तेवर उसके कई रहे होंगे
उँगली जब और पे उठी होगी
कथ्य औ’शिल्प का हुआ संगम
कोई अद्भुत ग़ज़ल बनी होगी
दर्द से वो तड़प उठा ‘देवी’
दिल पे चोट ऐसी कुछ लगी होगी