अनमोल प्यार बिन मोल बिके दुनिया के बाज़ार में / शैलेन्द्र
ओ अनमोल प्यार बिन मोल बिके
इस दुनिया के बाज़ार में
ओ इन्सान और ईमान बिके
इस दुनिया के बाज़ार में
ओ अनमोल प्यार बिन मोल बिके
खिलते ही इस फुलवारी में
प्यार की कलियाँ जल जाती हैं
दिल की दिल में रह जाती है
चाँदनी रातें ढल जाती हैं
कितने ही सन्सार उजड़ जाते हैं इस सन्सार में
इस दुनिया के बाज़ार में
ओ अनमोल प्यार बिन मोल बिके
दिन के उजाले में भी कोई
हमको लूट के चल देता है
प्यार भरा अरमान भरा ये
दिल पैरों से कुचल देता है
चमन हमारी उम्मीदों के सूखे भरी बहार में
इस दुनिया के बाज़ार में
ओ अनमोल प्यार बिन मोल बिके
धन दौलत के दूध पे हमने
पाप के साँप को पलते देखा
उलटी रीत कि इस दुनिया में
सुबह को सूरज ढलते देखा
बोल यही इन्साफ़ है क्या मालिक तेरे दरबार में
इस दुनिया के बाज़ार में
ओ अनमोल प्यार बिन मोल बिके
इस दुनिया के बाज़ार में
ओ अनमोल प्यार बिन मोल बिके