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अनल जी के नाम हायकू / बिंदु कुमारी

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छेलै अनल
गीतकार अजब
गावै गजब।

गावै संगीत
तराशै छेलै गीत
सबके मीत।

मधुर बंध
कोयलिया सुकंठ
ऋतु बसंत।

जेना खरादै
लकड़ी दैनेॅ गीत
मिट्ठोॅ संगीत।

बनाबै छेलै
रूखड़ा केॅ चिकनोॅ
गीत-संगीत।

गीत रोॅ पौवा
रूखानी बसुल्ली सेॅ
ठोकै-बजाबै।

काटी-छाँटी केॅ
शब्द जोड़ी-तंगड़ी
बनाबै-गीत।

काम बढ़ई
गीत सोन चिरइ
करै मजुरी।

आरी के संग
गीत गावै उमंग
रहै प्रसन्न।

गीत संग्रह
छै ‘चलदल छैया’
कत्तेॅ बढ़ियां

‘अनल गढ़ै
गीत खुबसुरत
काठ मूरत

छै ‘पियावासा’
उपन्यास अंगिका
प्रेम-पिपासा।

‘एकलव्य छै
शर्मा अनल केरोॅ
प्रबंध-काव्य।

अंगिका पोथी
काखेॅ मेॅ खादी झोला
चले अकेला।