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अनाज मण्डी के मज़ूर और जुम्मन चौकीदार / राजा खुगशाल

गाँव

डाकख़ाना

थाना और

तहसील

नहीं मालूम

लेकिन नाम रामाआसरे है ।


झुग्गियाँ उठने से पहले

दारू बेचने के ज़ुर्म में

एक साल में

दो साल की सज़ा

दो बार हुई जिसे ।


जेल के रौशनदान तोड़कर

रात वह पेड़ पर रहा

और सुबह होते ही

पुलिस के कुछ सिपाही

मुअत्तल थे ।


आजकल

अनाज मण्डी में

चौकीदार है जुम्मन

पल्लेदार है

अनाज के ढेर से

कंकड़ बीनती झुनिया


और कम्मो के पास

बन्द बोरियों पर

परखियाँ मारता हुआ

पसीने से तर-ब-तर

झाबे भरता हुआ

पूछता है--

'ओ, झुनिया!

ओ, कम्मो!

कहाँ से आ रहा है अनाज!'


आँखें तरेरती है कम्मो

झुनिया कहती है--

'ज़मींदार के खेतों से!'

ठेला खींचते हुए बुद्धन से पूछता है--

'कहाँ जा रहा है अनाज?'

गद्दी पर पसरी तोंद की तरफ़

इशारा करता है बुद्धन

मुस्कराता है

और आगे बढ़ जाता है


बाज़ार के फुटपाथ पर

ठहाके उठते हैं

मजूरों के हुजूम से ।


रात गए

बाज़ार को

शक होता है

'मजूर ख़ुश हैं'।


मण्डी के माहौल पर

रखी जा रही है नज़र

पुलिस की गश्त बढ़ गई

और ज़ोर-ज़ोर से बजने लगी हैं

सीटियाँ


गाँव

डाकख़ाना

थाना

और तहसील

नहीं मालूम

लेकिन नाम ?


नाम

चौकीदार है ।