अनिमा खड़ी बाज़ार में / नबीना दास / सरबजीत गरचा
इस खुले बाज़ार की उम्र उतनी ही है जितनी मेरी परदादी की । यह बाज़ार तब भी था जब गायें हरी घास से गोबर बनाया करती थीं । अब भी यहाँ चमकीले खिलौने, चिपचिपी मिठाइयाँ और सब्ज़ी और अचार बेचने वाली दुकानें हैं, सबकुछ सुपरस्टोरों में नहीं पहुँचा है । आओ तुम्हें दिखाऊँ कि सबसे पुराना विक्रेता कहाँ मिलेगा । तुम बता ही नहीं पाओगे कि वे आदमी हैं या औरत । उनका चेहरा चान्द की झुर्रियों से बना है और वे हाथीगोरुखुवा में बुनी लम्बी सफ़ेद धोती पहनते हैं । नहीं, वो जगह सचमुच असली है । अक्षरश: उसका मतलब है हाथी-गायों को खाना । मैं तुम्हें यह नहीं बता सकती कि हाथी या गाय खाने वाले कौन थे और अगर ऐसा कोई था ही नहीं, तो भला, उस जगह का इतना अजीबोग़रीब नाम क्यों पड़ता । लेकिन मैं जानती हूं कि नाम हमेशा वो नहीं दर्शाते जो तुम करते हो या जिससे छुटकारा पाना चाहते हो । हाँ, तुम हाथी या गाय नहीं खाते । लेकिन तुम हाथियों को रोने देते हो जब तुम जँगलों को काटते हो। तुम अपनी फेंकी हुई प्लास्टिक की थैलियों की वजह से गायों को मरने देते हो। अरे, प्लास्टिक की थैलियों से बाज़ार याद आया । यहाँ सुन्दर-सुन्दर देसी तोरियाँ हैं, जिसे वे स्त्री-पुरुष तौलकर बेचते हैं जो मेरी परदादी की उम्र के हो सकते हैं । हर पुलिन्दे के साथ एक कहानी बाँटी जाती है । पूरा का पूरा ख़रीद लो, पर प्लास्टिक मत पकाना ।
सारी दुनिया एक बाज़ार है. जब तुम अगली बार यहाँ आओगे तो मैं, अनिमा, तुम्हें बताऊँगी कि मांस बेचने वाला अपने छुरे पर धार क्यों लगा रहा है ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : सरबजीत गरचा