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अनुगीत-6 / राजकुमार

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छैलोॅ छै हुलासी, तोहें एतबार करी लेॅ
बचलोॅ कहाँ बासी, तोहें एतबार करी लेॅ

सूरज के नया दौर, नया आसमान पर
कुक्कुर गेलोॅ काशी, तोहें एतबार करी लेॅ

जंगल नया जोगी नया, छै जादू नया-नया
अब नै होथौं खाँसी, तोहें एतबार करी लेॅ

धरलोॅ ईंजोर छै तोरोॅ, हुनके दलान में
करतै के तलासी, तोहें एतबार करी लेॅ

केथी लेली कीचड़ हुनी, आपनोॅ उछालतै
कुरसी छै निरासी, तेाहें एतबार करी लेॅ

टिकलोॅ छै तोरोॅ हाल, हुनके एतबार पर
छै ‘राज’ गड़ासी, तेाहें एतबार करी लेॅ