भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अनुपम मिश्र को याद करते हुए / भास्कर चौधुरी
Kavita Kosh से
पानी ने जोड़ा
अनुपम को दुनिया से
अनुपम ने पानी जोड़ा पानी से
सचमुच पानी ही थे अनुपम
उनके तलाबों की तरह भरे हुए लबालब
पानी से तरबतर थे उनके सम्बंधों के खेत
गाँव शहर और देश की सीमा से परे
हरे हरे...