भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अनेक सदियों से.. / सुरेन्द्र डी सोनी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सभ्यता के प्लेटफार्म पर खड़ी -
बेचैन-सी ये दुनिया
बार-बार देखती है
टीनशेड से लटकी हुई घड़ी

ओह ! गाड़ी बहुत लेट है -
भीड़ से दूर जाकर
नए दोस्त बनाएँ
अगर चल रहा नेट है

नमस्कार, कृपया ध्यान दीजिए -
इस घड़ी को देखने
और सिस्टम को कोसने का
मज़ा लीजिए

खड़े रहिए या पड़े रहिए -
बहस कीजिए
और अपनी बात पर
अड़े रहिए

ग्लोबलाइजेशन का स्वाद चखिए -
जीने के लिए
ज़रूरी है
कि स्वयं को गिरवी रखिए

नई सदी के ये ही तो रंग हैं -
सैलफोन और लैपटोप
दोनों
शरीर के अविभाज्य अंग हैं

लड़ते रहिए, भिड़ते रहिए -
कुछ करिए मत
नेताओं से
सिर्फ़ चिढ़ते रहिए

कभी लाइका और कभी डॉली यहाँ 'पेट' है -
इसीलिए
ख़ुशी की गाड़ी
अनेक सदियों से लेट है..!