भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अनोखा प्यार / कुमार मुकुल / क्रिस्टोफर ओकिग्बो
Kavita Kosh से
हमारे पीठ पीछे आ चुका है चंद्रमा
एक-दूसरे पर झुके
हम दो देवदारों के मध्य
चढते चंद्रमा के साथ
हमारा प्यार
हमारे आदिम एकांत में वास कर रहा है
अब छायाएं हैं हम
लिपटे एक-दूसरे से
शून्य को चूमती
छायाएं केवल।