भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अन्तर्दाह / पृष्ठ 1 / रामेश्वर नाथ मिश्र 'अनुरोध'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क्यों आज विकल मन मेरा?
क्यों हृदय भरा लगता है ?
क्यों जन्म - जन्म का सोया
संचित वियोग जगता है ? ।।१।।

क्यों प्रकृति मूक बन बैठी?
क्यों पवन नहीं चलता है ?
क्यों मेरे भोले मन में
पावक - प्रदाह पलता है? ।।२।।

कोमल कठोर करुणा की
कारा में क्यों मन मेरा ?
बालक - सा सिसक रहा है
है चारों ओर अँधेरा  ?।।३।।

क्यों आज मेरी आँखों में
अविरल आँसू धारा है?
क्या नहीं मिलेगा फिर वह
जो आँखों का तारा है? ।।४।।

जिस प्रतिमा के ऊपर मैं
यह जीवन - पुष्प चढ़ाता ,
जिसके कोमल चरणों पर
कविता का फल धर जाता; ।।५।।