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अन्तर्विरोध / अजित कुमार
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घोंघा है कीड़ा एक
गिजगिजा, गंदा, गीला, घिनौना ।
शंख है उसी का घर-
शुभ्र, सुदृढ़, मंगलमय, पवित्र ।
जीवन वहीं
जहाँ परस्पर विरोध ।