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अन्तर नहीं भगवान में, राम कहो चाहे संत / गंगादास

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अन्तर नहीं भगवान में, राम कहो चाहे संत ।
एक अंग तन संग में, रहे अनादि अनंत ।।

रहे अनादि अनंत, सिद्ध गुरु साधक चेले ।
तब हो गया अभेद भेद सतगुरु से लेले ।।

गंगादास ऐ आप ओई मंत्री अर मंतर ।
राम-संत के बीच कड़ी रहता ना अन्तर ।।