अन्तिओक के परिसर में / कंस्तांतिन कवाफ़ी / सुरेश सलिल
अन्तिओक में हम विस्मय से भर उठे
जब सुनी जूलियन की कारस्तानियाँ ।
दाफ़्नी में अपोलो ने साफ़-साफ़ कह दिया था उससे :
वह कोई देववाणी नहीं देना चाहता
कोई इरादा नहीं भविष्यवक्ता के रूप में कुछ कहने का
जब तक दाफ़्नी का उसका मन्दिर शुद्ध नहीं किया जाता ।
निकट ही शव, घोषणा की अपोलो ने, तेज हरण करते हैं ।
निस्संदेह दाफ़्नी में कई समाधियाँ हैं
उन्हीं में से एक में दफ़्न था
विजेता और पवित्र बलिदानी बाविलास
हमारे चर्च का गौरव और कौतुक ।
उसी से भयभीत था, उसी की ओर सँकेत था उस छद्म देव का।
जब तक उसकी उपस्थिति रही उसके निकट
साहस नहीं कर पाया वह
अपनी देववाणी उच्चारित करने का : खुसफुस तक नहीं !
[हमारे बलिदानियों से आतंकित हैं। नकली देवता]
सक्रिय हुआ विधर्मी जूलियन
आपे से बाहर से चीख़ा : ‘‘निकालो इसे, उठाओ !"
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल