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अन्तिम समय तक / प्रेमरंजन अनिमेष
Kavita Kosh से
अन्तिम समय तक
परीक्षार्थी उलटता रहा क़िताब
अन्तिम समय तक
सजती रही दुल्हन
माँ उलझी रही घर के कामों में
अन्तिम समय तक
अन्तिम समय तक
चींटी चुनती रही शक्कर
अन्तिम समय तक
केंचुए के शरीर में होती रही हरकत
अन्तिम समय तक
एक पेड़ खड़ा रहा उठाए हाथ
बोरसी में आग
आँखों में लौ
बची रही अन्तिम समय तक
अन्तिम समय तक
गर्भ में कर फेरता रहा शिशु
जैसे घट के भीतर कुम्भकार !