अन्दर ही अन्दर 
यह क्या सुलग रहा है 
अजीब - सा ?
बाहर निकलनें को 
अकुलायी 
अनजान - सी छटपटाहट 
गले में 
अटकी - अटकी - सी 
क्या नाम दूं 
इस अनाम को ?
परछाई - सी साथ लगी रहती 
इस अनचाही सच्चाई से 
कभी मुक्त हो सकूंगी क्या ?
अन्दर ही अन्दर 
यह क्या सुलग रहा है 
अजीब - सा ?
बाहर निकलनें को 
अकुलायी 
अनजान - सी छटपटाहट 
गले में 
अटकी - अटकी - सी 
क्या नाम दूं 
इस अनाम को ?
परछाई - सी साथ लगी रहती 
इस अनचाही सच्चाई से 
कभी मुक्त हो सकूंगी क्या ?